अब मुझे इसमें कूद ही जाना चाहिए।मेरे कारण सावन को मार पड़ी और वो शहर छोड़कर ना जाने कहां चला गया और अब सिद्धार्थ का जीवन मैंने बर्बाद कर दिया है।
उसके मन में उधेर बुन चल ही रही थी कि तभी लगा जैसे किसी ने उसे धक्का दिया। उसने अपनी आंखें बंद कर ली और छपाक... की आवाज सुनने का इंतजार करने लगी।
जो हिम्मत वो खुद नहीं जुटा पाई थी वही काम कोई अनजान कर रहा था उसके लिए,यही साधना को लग रहा था।
दीपा की आत्मा ने जब देखा साधना मुंडेर पर खड़ी है तो उसने ही उसे धक्का दे दिया।यह सावन की आत्मा ने देख लिया और बिना एक पल गंवाए उसे वहीं हवा में रोक दिया।
सावन और साधना की आत्मा एक दूसरे से लड़ रही थी।
"तुम एक स्त्री होकर दूसरी स्त्री को मारने की कोशिश कर रही हो। तुम्हें शर्म नहीं आती। तुम्हें तो डूब मरना चाहिए चुल्लू भर पानी में।"सावन की आत्मा ने कहा।
दीपा की आत्मा ने अट्टहास किया..
"हा हा हा...
मैं स्त्री हूंँ..
कल फिर आऊंगी। साधना को मार डालूंगी।
ओए तू इसका आशिक है क्या जो हमेशा आ जाता है इसे बचाने के लिए।
,,, और क्या बोल रहा था... चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए मुझे.... हा हा हा..
मरने के बाद ही तेरे सामने इस हाल में हूंँ और फिर तू मुझे मार रहा है।
हम लोग आत्महत्या करने के बाद कभी नहीं मरते।तू भी तो एक भटकती आत्मा ही ठहरा। मुझे ज्ञान दे रहा है... हाँ नहीं तो।"
सिद्धार्थ पानी पीने के लिए कुँए के पास आया तो साधना को वहाँ मुंडेर के पास गिरा हुआ देखा तो दौड़ कर उसको अपनी गोद में उठा कर अपने कमरे में ले आया तब तक उसके ट्युशन के बच्चे जा चुके थे।
दीपा की आत्मा के धक्का देने से साधना का सिर कुंँए के पत्थर से टकराया जिससे सिर में चोट लग गई वो तो सावन ने उसे डूबने से बचा लिया।
क्रमश:
आपको यह कहानी पसंद आ रही है यह जानकर खुशी हुई।
इस कहानी से जुड़े रहने के लिए मेरे प्रिय पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया। आप इसी तरह कहानी से जुड़े रहिए और अपनी समीक्षा के जरिए बताते रहिए कि आपको कहानी कैसी लग रही है।
नंदिता राय
01-Oct-2022 09:28 PM
शानदार
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नंदिता राय
01-Oct-2022 09:21 PM
👏👌
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